लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला
भाग 19
संपत अपने घर लौट गया । यहां पर शिवम सबका लाडला बन गया था । शिवम और सुमन में खूब पटती थी । सुमन अपनी पीढी की सबसे छोटी सदस्य थी इसलिए उसका बचपना अभी तक बरकरार था । वह शिवम के साथ खेलती थी, उसकी मांगों को पूरा करती थी इसलिए वह शिवम की सबसे अधिक चहेती बन गई थी । शिवम उसी के पास सोता था । शिवम का सारा काम अब सुमन ही करती थी ।
वक्त के खेल भी बड़े निराले होते हैं । मनुष्य पचास सालों की योजनाएं बना लेता है और पता अगले पल का नहीं होता है । जिंदगी का ऊंट कब किस करवट बैठ जाएं, कुछ पता नहीं है । नियति की अपनी भूमिका है । होनी को जो मंजूर होता है, वही होता है ।
अनीता के मामा श्वसुर के पुत्र का विवाह था । अनीता का परिवार उसमें सम्मिलित होने के लिए अपने वाहन से जा रहा था । सामने से एक ट्रक ओवरटेक करता हुआ दनदनाता आया और अनीता वाली गाड़ी के परखच्चे उड़ाता हुआ चला गया । गाड़ी ट्रक से टकरा कर पलट गई । अफरा तफरी मच गई । उस गाड़ी के चारों ओर भीड़ इकट्ठी हो गई । लोगों ने अनीता के परिजनों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला । अनीता और उसकी सास की मौके पर ही मौत हो गई । अनीता की छ: माह की बेटी नेहा अनीता की गोद में थी इसलिए वह बच गई । अनीता के पति पवन और उसके श्वसुर दोनों बेहोश हो गए । लोगों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया ।
जैसे ही इस घटना की सूचना नई मां और बाबूजी को मिली सब लोग दौड़े दौड़े वहां पहुंचे । अनीता तो मौके पर ही मर चुकी थी । उसकी सास भी मर चुकी थी । अब तो उनका क्रिया कर्म करना शेष रह गया था । अनीता का पति पवन और उनके पिता पूरे दस दिन अस्पताल में भर्ती रहे । नेहा अभी छह महीने की थी इसलिए उसका ध्यान रखना बहुत ज़रूरी था । उसकी सारी जिम्मेदारी सुमन ने ले ली थी । सुमन नेहा की मौसी से अब मां बन गई थी । सुमन दो दो बच्चों को पाल रही थी । एक शिवम और दूसरी नेहा को । घर में दो दो बच्चे आने से घर "कूकने" लगा था ।
सुमन की व्यस्तता बहुत बढ़ गई थी वह भी अभी 20 साल की ही थी इसलिए उसे बच्चे पालने का अनुभव कहां से होता ? लेकिन उसका जोश कमाल का था । उसकी लगन बेमिसाल थी । उसका समर्पण अद्भुत था । उसका धैर्य अवर्णनीय था । वह पढ़ाई लिखाई सब भूल गई थी और दोनों बच्चे पालने में व्यस्त हो गई थी । शिवम को एक छोटी बहन मिल गई थी । वह नेहा को खिलौनों से खिलाता, दूध पिलाता और उसे गोद में लेकर ढेर सारा प्यार करता था । नेहा भी उसे पहचानने लगी थी । शिवम की गोदी में आकर वह चुप हो जाती थी । गोल मटोल आंखों से जब वह शिवम को देखती तो शिवम खुश हो जाता था ।
समय का पहिया अपनी गति से चलता रहता है । किसी के रोके रुकता नहीं है । दौलत जवान हो गया था । पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी लग गई थी इसलिए रिश्ते भी खूब आने लगे थे । एक अच्छी सी लड़की देखकर दौलत का विवाह उससे कर दिया गया । दौलत को दिव्या मिल गई और नई मां को एक गृह लक्ष्मी । कामिनी के व्यवहार और अनीता की मृत्यु से जो नकारात्मक माहौल बन गया था वह अब दूर हो चुका था । अब पूरा घर खुशियों की रोशनी से जगमग हो रहा था । भविष्य के सपनों के रंग से रंग गया था और प्रेम की सुगंध से महक रहा था ।
दौलत की शादी में संपत और कामिनी दोनों ही आए थे । कामिनी ने तो शिवम को देखा तक नहीं । यहां आकर भी वह सबसे अलग ही रही जैसे वह यहां कोई अपरिचित हो । उसे दौलत की शादी में कोई रुचि नहीं थी । वह तो संपत के बहुत जोर देने के बाद आने को तैयार हुई थी वरना वह आना ही नहीं चाहती थी । संपत शिवम से मिलकर प्रसन्न हो गया जैसे कोई शरीर जीव से मिलकर प्रसन्न हो जाता है । शिवम संपत को पहचान तो गया लेकिन उसके पास ज्यादा देर नहीं रुका । शिवम के लिए संपत कई तरह के खिलौने लाया था । शिवम थोड़ी देर तो उनसे खेला मगर बाद में वह नेहा से खेलने में मशगूल हो गया । संपत से शिवम अब दूर हो रहा था ।
शिवम अब तीन वर्ष का हो चुका था इसलिए उसका किसी अच्छे स्कूल में एडमिशन कराना था । संपत की इच्छा थी कि शिवम उसके साथ रहे मगर कामिनी तो उसे रखना तो दूर बल्कि वह तो उसकी शक्ल भी देखना पसंद नहीं करती थी । घर के मामलों में औरतों की ही चलती है मर्दों की नहीं क्योंकि घर पर वे ही रहती हैं । खाना पीना सब उन्हीं की कृपा से मिलता है । चाहते हुए भी संपत कुछ नहीं कर सका शिवम के लिए । सूने मन से वह लौट गया ।
शिवम का एडमिशन पास के एक अच्छे से स्कूल में करा दिया गया था । घर पर अब दौलत की पत्नी दिव्या आ गई थी इसलिए उसने घर का काम संभाल लिया था और नई मां शिवम और नेहा को संभालने लगी थी । इससे सुमन को अब थोड़ी फुरसत मिलने लगी थी । इस समय का सदुपयोग कर अब वह पुनः कॉलेज जाने लगी थी । काफी लंबे समय बाद कॉलेज जाना बहुत अच्छा लगता है ।
सुमन रंग की थोड़ी सांवली थी लेकिन उसके फीचर्स बहुत अच्छे थे । वह मीना कुमारी जैसी लगती थी । कॉलेज के लड़के उस पर लाइन मारने लगे थे लेकिन सुमन ने किसी को भी घास नहीं डाली थी । उसकी जिंदगी शिवम और नेहा में ही सिमट गई थी ।
जब वह कॉलेज जाती तो उसे लगता था कि जैसे कोई उसका पीछा कर रहा है । वापसी में भी ऐसा ही होता था । वह सतर्क होकर कॉलेज जाने लगी । उसका भ्रम सही साबित हुआ । एक अच्छी कद काठी का नौजवान रोजाना उसके पीछे पीछे चलता था । ना उसने कभी उसे छेड़ा और ना ही कभी कोई फब्ती ही कसी । कभी सीटी भी नहीं मारी थी । वह शिकायत करे भी तो कैसे ? इसी दुविधा में जी रही थी सुमन ।
एक दिन उसने अपने भाई दौलत से यह बात कह दी । दौलत भी सुमन के पीछे पीछे हो लिया एक दिन । वह देखना चाहता था कि आखिर वह लड़का कौन है जो सुमन का रोज पीछा करता है । आधे रास्ते पर ही वह लड़का मिल गया । उसे देखकर दौलत सकपका गया । वह तो उसका बॉस यानि थानेदार था । उसने सुमन के कान में यह बात बताई तो सुमन मुस्कुरा दी । एक थानेदार उसका दीवाना हो गया है यह बात गर्व करने वाली थी । उसने खुद को एक बार आईने में निहारा और मन ही मन कहा "जीओ सुमन , बकरा भी बड़ा तगड़ा फांसा है तूने । जब वह कटने को तैयार है तो फिर कोई क्या करे ?
अब तो यह रोज का कार्यक्रम हो गया । सुमन कॉलेज जाती और राजेश उसके पीछे पीछे चलता । धीरे धीरे दोनों में बातें होने लगीं । सुमन का दिल राजेश ले उड़ा था । वह क्या करती बेचारी ? उसने भी राजेश का दिल ले लिया था । दोनों कॉलेज के बाद मिलने लगे और उनके सपने जवां होने लगे ।
क्रमश:
श्री हरि
20.5.23
वानी
16-Jun-2023 07:26 PM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
24-May-2023 07:14 AM
बहुत खूब
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Hari Shanker Goyal "Hari"
24-May-2023 07:16 AM
🙏🙏🙏
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